गण में दीवाली आई

गण में दीवाली आई

करूणा का अक्षय घट थामे, जन-मन को सहलाए।
अनुशासन की पुण्य ऋचाएं, मधुरिम स्वर में गाएं।।
गुरु गरिमा क्या बतलाएं।।
नयन युगल में पलते पल-पल नव्य सृजन के सपने,
बहे निरन्तर कलकल करते वत्सलता के झरने,
मनमोहक मुस्कान अजब अपनापन खूब लुटाए।।
चंदा निशि अरू रवि वासर का हरते हैं अंधियारा,
तेरा आभामंडल बांटे आठ पहर उजियारा,
सिद्धांतों से समझौते की बात न मन को भाए।।
देश-विदेशों की धरती पर अभिनव रंग लगाया,
यात्राओं का कीर्तिमान गढ़ नव इतिहास रचाया,
त्रिसूत्री आयाम शुभंकर स्वस्थ समाज बनाए।।
तुलसी महाप्रज्ञ से पाया अनुभव भरा खजाना,
भैक्षव गण की ऊंचाई को शिखरों तुम्हें चढ़ाना,
करो शासना युगों-युगों तक दिल-अरमान सुनाएं
दीक्षा-कल्याणक उत्सव पर मिलजुल सभी बधाएं।।