केंद्रीय संस्थाओं की ओर से भावपूर्ण अभिवंदना स्वर
संतता के शिखर पुरुष आचार्य महाश्रमणजी के अनुत्तर संयम पर्याय के 50वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। दीक्षा कल्याणक का यह अपूर्व अवसर चतुर्विध धर्मसंघ के लिए आह्लाद, आनंद, उत्साह और उमंग का अवसर है। गणाधिपति गुरुदेव तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञजी ने जिसे अपने कर कमलों से तराशा और महाश्रमण बना तेरापंथ की गादी पर प्रतिष्ठित किया ऐसे महाप्रतापी अनुशास्ता की अनुशासना पाकर पूरा धर्मसंघ अपने आपमें धन्यता, कृतपुण्यता का अनुभव कर रहा है। वर्धापना के इस पावन अवसर पर मैं पारमार्थिक शिक्षण संस्था परिवार की ओर से अनन्त आस्था, श्रद्धा, कृतज्ञता समर्पित करते हुए मंगलकामना करता हूं कि आप चिरायु हों, निरामय हों तथा पग-पग पर विजयश्री का वरण करते हुए भैक्षवगण, जिनशासन और मानवता की सेवा करवाते रहें।