केंद्रीय संस्थाओं की ओर से भावपूर्ण अभिवंदना स्वर

केंद्रीय संस्थाओं की ओर से भावपूर्ण अभिवंदना स्वर

महाश्रमण नाम स्वयं में ही मंगल का प्रतीक है और आचार्यप्रवर की अभिवंदना में हमारे शब्द कोश भी पर्याप्त नहीं होंगे। गौर वर्ण, आकर्षक मुख मंडल, सहज मुस्कान से परिपूर्ण, विनम्रता, दृढ़ता , शालीनता, व सहजता जैसे गुणों से ओत-प्रोत आचार्य श्री महाश्रमणजी से न केवल तेरापंथ अपितु पूरा धार्मिक जगत आपके पाथेय प्राप्ति हेतु सदैव तत्पर है। 700 साधु- साध्वियों, समणियों एवं लाखों श्रावक-श्राविकाओं को सम्भालना एवं धर्म संघ एवं आस्था से बांधे रखना बड़ा ही दुर्लभ है। आचार्य श्री महाश्रमण मानवता के लिए समर्पित जैन तेरापंथ धर्म संघ के उज्जवल भविष्य है। हमारा सौभाग्य है कि हमें ऐसे युगपुरुष का निरन्तर सान्निध्य प्राप्त है, जिनकी देवीय वाणी से हजारों व्यक्तियों ने अपने जीवन को नवीन दिशा प्रदान की है। मैं कामना करता हूं कि आप चिरायु हों और आपकी छत्र-छाया में धर्मसंघ निरन्तर नवीन कीर्तिमान स्थापित करता रहे।