मुझे भी आचार्य महाप्रज्ञ जी की सेवा का अवसर मिला है : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा
साध्वी अणिमाश्री जी एवं साध्वी संगीतश्री जी के सान्निध्य में ओसवाल भवन में तेरापंथी सभा शाहदरा के तत्वावधान में आचार्य महाप्रज्ञ के 15 वें महाप्रयाण का भव्य एवं गरिमामय कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा- आचार्य भिक्षु तेरापंथ के जनक थे। सिरियारी में उनका पवित्र धाम बना हुआ जो हमारे राजस्थान का तीर्थस्थल है। मैं आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञजी व आचार्य महाश्रमणजी को नमन करता हूं। आचार्य तुलसी ने अनेक क्रांतिकारी कदम उठाकर तेरापंथ को सभी जैन संप्रदायों में महत्वपूर्ण संप्रदाय बनाने का काम किया। आचार्य महाप्रज्ञ जी ने तेरापंथ धर्मसंघ को विश्व-क्षितिज पर प्रतिष्ठित किया। आचार्य महाश्रमणजी इसे व्यापकता प्रदान कर जनमानस में प्रतिष्ठित करने का श्रमसाध्य कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा- आचार्य महाप्रज्ञजी जैसे महापुरूष इस धरती पर कभी-कभी ही अवतरित होते हैं। उन्होंने शास्त्रों का गंभीर अध्ययन किया, 200 से अधिक पुस्तकों का लेखन कर साहित्य-जगत को समृद्ध किया। प्रेक्षाध्यान के द्वारा उन्होंने जनमानस को शांति का जीवन जीने का वरदान दिया है। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे भी आचार्य महाप्रज्ञजी के सान्निध्य में बैठकर सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है।
साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने कहा- शून्य से शिखर तक पहुंचने वाली चेतना का नाम है- आचार्य महाप्रज्ञ। प्रज्ञा के महासमन्दर का नाम है- आचार्य महाप्रज्ञ। समर्पण व साधना के शलाका पुरूष का नाम है- आचार्य महाप्रज्ञ। उपशम-कषाय के महाशैल का नाम है, आचार्य महाप्रज्ञ। विवेक व विनम्रता के पर्याय का नाम है- आचार्य महाप्रज्ञ। आचार्य महाप्रज्ञजी ने अपने समर्पण के द्वारा अपने गुरु आचार्यश्री तुलसी के दिल में विशिष्ट स्थान बनाया। अपने समर्पण व प्रज्ञा के द्वारा वे गण के गोविन्द बने। आचार्य महाप्रज्ञजी के 15 वें महाप्रयाण दिवस पर राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री आए हैं। उनकी सहजता, सरलता, विनम्रता प्रशस्य है। पहली बार विधायक बनते ही मुख्यमंत्री बनना इनके जीवन का भाग्योदय है। आप परम पूज्य आचार्य महाश्रमणजी के दर्शन कर उनसे ऊर्जा प्राप्त करें। वो ऊर्जा आपके राज्य विकास में योगभूत बनेगी ऐसा मेरा मानना है।
साध्वी संगीतश्री जी ने कहा- आचार्य महाप्रज्ञजी के मुखमंडल पर चंद्रमा सी शीतलता व उज्जवलता के दर्शन होते थे। उनके तेजोद्दीप्त भाल पर सूर्य सी तेजस्विता झलकती थी। उनके चिन्तन में हिमालय सी ऊंचाई एवं विचारों में महासागर सी गंभीरता थी। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। ऐसा लगता है उनको साधना से अनेक सिद्धियां एवं लब्धियां हस्तगत हो गई थी। वे इस धरती के कल्पवृक्ष कामकुंभ एवं चिंतामणी सदृश थे। आचार्य महाप्रज्ञजी ने सत्य की खोज के लिए प्रेक्षाध्यान पद्धति का निरूपण किया। आचार्य महाप्रज्ञजी के अवदान मानव जाति के लिए वरदान है।
साध्वी शांतिप्रभा जी, साध्वी कमलविभा जी, साध्वी डॉ. सुधाप्रभाजी, साध्वी मुदिताश्रीजी ने अपने श्रद्धासिक्त भावों की प्रस्तुति दी। साध्वी समत्वयशाजी ने गीत का संगान किया। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंच संचालन किया। साध्वीवृन्द ने सामूहिक गीत की प्रस्तुति भी दी। दिल्ली सभाध्यक्ष सुखलाल सेठिया, महामंत्री प्रमोद घोड़ावत शाहदरा सभाध्यक्ष पन्नालाल बैद, ओसवाल समाज अध्यक्ष आनंद बुच्चा, महिला मंडल अध्यक्षा सरोज सिपानी, निगम पार्षद पंकज लूथरा, महासभा के पूर्व अध्यक्ष कमल दुगड़ ने विचार व्यक्त किए।