आचार्य महाश्रमण का GST पावर
प्राचीन शास्त्रों में चार प्रकार के व्यक्तियों का उल्लेख प्राप्त होता है-
1. दुनिया में कुछ व्यक्ति अंधेरे में जन्म लेते हैं और अपनी जीवन-यात्रा को अंधेरे में ही पूरी कर देते हैं।
2. कुछ व्यक्ति जन्म तो अंधेरे में लेते हैं किन्तु अपने जीवन-पथ को उजाले से भर लेते हैं।
3. कुछ व्यक्ति जन्म तो उजाले में लेते हैं किन्तु अपने जीवन को अंधकार मय बना लेते हैं।
4. दुनियां में कुछ ही पुण्यशाली व्यक्ति होते हैं, जो जन्म भी उजाले में लेते हैं, उजाले का जीवन जीते हैं एवं दुनिया में उजाला ही बांटते है।
ऐसे पुण्यशाली व्यक्तियों की श्रेणी के शलाका पुरूष हैं- आचार्य श्री महाश्रमणजी। जिन्होंने उजाले में जन्म लिया अर्थात् वैशाख के शुक्ल-पक्ष में मां नेमा की रत्नकुक्षि से इस धरणी धाम पर आलोक पुंज बनकर आए। उजाले से उजाले की ओर बढ़े यानि संयम-पथ के पथिक बने। प्रकाश-स्तंभ आचार्य तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञजी के उजले हाथों में अपना जीवन-सूत्र समर्पित किया और पूरी मानव जाति को उजाला बांट रहे हैं। उजाला वही बांट सकता है, जिसके जीवन में उजाला हो। कहा भी है-
आलोक वही बांट सकता है, जो स्वयं आलोकित होता है।
सौरभ वही बिखेर सकता है, जो स्वयं सुवासित होता है।
खुद को बदले बिना, औरों को बदलने की बात फिजुल है।
शक्तिप्रदाता वही बन सकता है, जो शक्ति संपन्न
होता है।।
सचमुच उजाले का राही वो ही शख्स बन सकता है, जो शक्तिसंपन्न होता है। आचार्य महाश्रमणजी अनंत शक्ति के अक्षय-स्रोत हैं। वे संघ के पावर हाउस है एवं पूरे संघ को पावर सप्लाई करते हैं। आचार्य महाश्रमणजी के जीवन में GST पावर है। इस पावर की बदौलत आचार्य प्रवर स्वयं भी पावरफुल हैं एवं धर्मसंघ को भी पावरफुल बना रहे हैं।
आओ, जाने आचार्य महाश्रमणजी का GST पावर :
G : गुड थिंकिंग पावर
कहते हैं छोटी सेाच और पैर की मोच व्यक्ति
को आगे नहीं बढ़ने देती। आचार्य महाश्रमणजी की सोच ऊंची एवं अच्छी है। अपनी ऊंची एवं अच्छी सोच के कारण ही सरदारशहर का नन्हा सा प्रतिभाशाली मोहन आज प्रभु महाश्रमण बन संघ का भाग्य लिख रहा है।
बचपन में गांधी जी के तीन बंदरों के बारें में पढ़ा था। पहला बंदर कहता है- बुरा मत बोलो। दूसरा बंदर कहता है- बुरा मत देखो तथा तीसरा बंदर कहता है- बुरा मत सोचो हमेशा, अच्छा ही सोचो। यदि व्यक्ति अच्छा सोचना प्रारंभ कर दे तो उसकी तकदीर बदल सकती है, सितारें चमक सकते हैं।
आचार्य महाश्रमणजी के पास अच्छी सोच, ऊंची सोच एवं सकारात्मक-सोच का किमिया मंत्र है। यह मंत्र ही नहीं, उनके जीवन का महामंत्र है। अपनी अच्छी सोच के कारण वे हमेशा हर परिस्थिति में खिले हुए गुलाब ही देखते हैं इसलिए नकारात्मक विचारों के कांटे उनके जीवन पथ को बाधित नहीं करते। अच्छी एवं ऊंची सोच के मालिक आचार्य महाश्रमणजी के जीवन का एक-एक पल संघ को खुशियों का आलोक बांट रहा है।
S : सुपर सिम्पैथी पावर :
एक टीचर ने विद्यार्थियों से पूछा- बताओ, बच्चों! बेस्ट थेरेपी कौनसी है? एक विद्यार्थी बोला सर! एलोपैथी। दूसरा बोला- सर! होमियोपैथी। तीसरा बोला-सर! नेचुरोपैथी। एक विवेकशील बच्चें ने कहा सर! सिम्पैथी। अगर किसी भी दवा के साथ सिम्पैथी जुड़ जाती है तो वह बेस्ट थेरेपी बन जाती है।
हम किसी के दुःख को मिटा तो नहीं सकते किन्तु बांट तो सकते हैं। हम किसी के दुःख को ले तो नहीं सकते किन्तु अनुभव तो कर ही सकते हैं। किसी के दुःख का अनुभव वही कर सकता है, जिसके भीतर संवेदना हो, सहानुभूति हो। आचार्य महाश्रमणजी के हृदय सागर में सहानुभूति व संवदेना की लहरें हिलोरे लेती है। वे दूसरों के दुःख का गहराई से संवेदन करते हैं। कोई अपने दुःख दर्द की गाथा उनके समक्ष प्रस्तुत करता है तो लगता है उनको ही पीड़ा हो रही है।
हुबली मर्यादा महोत्सव पर हमने साध्वी मंगलप्रज्ञाजी की बड़ी बीमारी होने के बाद पहली बार दर्शन किए। जब हमने पूज्यप्रवर को मंगलप्रभाजी
के स्वास्थ्य की जानकारी दी तो पूज्यप्रवर के हाव-भाव से ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो गुरुदेव को
पीड़ा की अनुभूति हो रही है। प्रवचन के मध्य पूज्य गुरुदेव ने साध्वी मंगलप्रज्ञाजी को आरोग्यवरदायी मंगलपाठ सुनाया।
एक नहीं ऐसे हजारों उदाहरण है, जो गुरुदेव श्री के सिम्पैथी लेवल को अभिव्यक्त करते हैं। संघ के छोटे सदस्य के प्रति भी पूज्यप्रवर की सहानुभूति के दर्शन होते हैं। सफल अनुशास्ता वही होता है, जो हर सदस्य के दुःख दर्द को समझ सके एवं सहानुभूति के साथ हर समस्या को समाहित कर सके। आचार्य महाश्रमणजी का सिम्पैथी पावर टाॅप लेवल का है। इसीलिए तो वो संघ की टोप पोस्ट पर विराजमान है।
T : टाईम मेनेजमेन्ट पावर :
किसी विचारक ने बहुत सुन्दर कहा है- आपको हर वक्त पता रहता है कि आपके पास दौलत कितनी है किन्तु कितनी भी दौलत खर्च करलो आप यह नहीं जान सकते कि आपके पास वक्त कितना बचा है। सचमुच समय बड़ा कीमती है। जो इस कीमती समय का प्रबंधन करना जानता है, वह महानता के रथ पर आरूढ़ होकर युग का कुशलता से सारथ्य कर सकता है।
आचार्य महाश्रमणजी समय के कुशल प्रबंधक है। टाईम मेनेजमेंट के गुरु है। भगवान महावीर की वाणी है ‘काले कालं समाचरे’ आचार्य महाश्रमणजी का यह जीवन सूत्र है। उनको जिस समय जो काम करना होता है, उस काम को वे उसी समय संपादित करते है। इसी कारण उनके दिमाग पर काम का अतिरिक्त बोझ नहीं रहता। वे प्रतिदिन रात्रि को निःशेषम् कहकर गहरी नींद लेते हैं एवं प्रसन्नता के साथ सूरज की पहली किरण का अभिवादन करते हैं, ऐसा वही कुशल प्रबंधक कर सकता है, जिसने समय का सम्यक् नियोजन करना सीख लिया हो।
भगवान महावीर ने कहा है ‘खणं जाणाहि पंडिए’ जो समय को जानता है, वह पंडित कहलाता है। आचार्य महाश्रमणजी सिर्फ समय को जानते ही नहीं बल्कि क्षण-क्षण का सदुपयोग करते हैं।
कहते हैं समय व समझ दोनों एक साथ खुशकिस्मत लोगों को ही मिलती है। आचार्य महाश्रमणजी एक ऐसे सफल प्रबंधक है जो समझ के साथ समय की कलम हाथ में लेकर संघ की पोथी में नई इबारत लिख रहे हैं।
टाईम मेनेजमेंट के महागुरु आचार्य महाश्रमणजी से समय-प्रबंधन की कला सीखकर हम भी अपने जीवन को सजाएं, संवारे एवं महानता के पथ पर गतिशील बनें। प्रकाशपुंज गुरुवर से समय प्रबंधन का प्रकाश लेकर अपने जीवन में उजास भरें। GST पावर के महानायक की अभिवंदना! अर्चना! अभ्यर्थना!!