
भगवान ऋ षभ का दीक्षा दिवस बड़े ही उल्लास से मनाया गया
कालवादेवी (मुंबई)। ‘शासनश्री’ मुनि धर्मरुचिजी के सान्निध्य में भगवान ऋषभ का दीक्षा दिवस बड़े ही उल्लासमय वातावरण में मनाया गया। कार्यक्रम में मुनि कमल कुमारजी ने कहा कि तीर्थंकर के पंच कल्याणक प्रसिद्ध हैं जिसे समग्र जैन मानते हैं। उनमें तीसरा कल्याणक दीक्षा कल्याणक माना जाता है। हमारी मान्यता है कि दीक्षा लेते ही वे वंदनीय बन जाते हैं। आज हम भगवान ऋषभ को श्रद्धा से वंदन करते हैं। आज के दिन काफी श्रद्धालु वर्षीतप प्रारंभ करते हैं, यहां भी लोग अपनी शक्ति के अनुसार आगे बढ़ने का प्रयास करें। मुनि जंबू कुमारजी ने भगवान ऋषभ की स्तुति स्वरूप चौबीसी की गीतिका का संगान करते हुए 'ॐ ऋषभाय नमः' का जप करवाया। मुनि मनन कुमार जी ने कहा कि भगवान ऋषभ ने अष्टमी के उपवास के बाद नवमी को बेले में दीक्षा स्वीकार की, लोगों को जीने की कला सीखाकर साधुत्व को स्वीकार किया। उन्होंने गृहस्थ जीवन और साधु जीवन दोनों जी कर दोनों को सफल बनाने की कला सिखाई।