आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार
'शासनश्री' साध्वी ललितप्रभाजी के सान्निध्य में दशम् अधिशास्ता आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी की 15वीं पुण्यतिथि के अवसर पर तेरापंथ भवन में आयोजित कार्यक्रम में साध्वीश्री ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञजी ने अपने जीवन में हर क्षेत्र में विद्वता हासिल की। वे संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी भाषाओं के प्रकाण्ड विद्वान बने। कालूगणी ने आपकी योग्यता को परखा और दीक्षा लेते ही आपके जीवन की डोर आचार्य तुलसी के हाथों थमा दी। उनका संकल्प था मेरे गुरु जिससे नाराज हो वह कार्य मैं कभी नहीं करूंगा।
वे योगी पुरुष थे। अपनी योग साधना द्वारा स्वयं अपने जीवन को सजाया। उनकी योग साधना से प्रभावित होकर ही भारत के राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम आपके परम भक्त बने और प्रधानमंत्री वाजपेयी आपके साहित्य के सच्चे पाठक बने। साध्वी अमितश्रीजी ने आचार्य महाप्रज्ञ जी के जीवन का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी विनम्रता का उदाहरण प्रस्तुत किया। साध्वी कर्तव्ययशाजी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञजी आत्मद्रष्टा, युगद्रष्टा एवं भविष्यद्रष्टा संत थे। दिल्ली महिला मंडल की पूर्व अध्यक्षा मंजू जैन, मध्य दिल्ली महिला मंडल अध्यक्षा दीपिका छल्लाणी एवं सुरेश जैन ने अपनी प्रस्तुति दी।