आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार

युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी रचनाश्री जी के सान्निध्य में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का 15 वां महाप्रयाणा दिवस मनाया गया। साध्वीश्रीजी ने अपने उद्बोधन में कहा - टमकोर जैसे छोटे से गांव में जन्मा व्यक्ति महाप्रज्ञ कैसे बना? महाप्रज्ञ कौन बनता है? महाप्रज्ञ वह बनता है जिसका कषाय उपशम हो। स्वयं आचार्य श्री ने फरमाया कि मुझे याद नहीं कि मेरे जीवन काल में मुझे सात बार भी तीव्र गुस्सा आया हो। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का कषाय बहुत उपशांत था। महाप्रज्ञ वह होता है जिसका समर्पण शिखर पर हो। गुरु के प्रति तो समर्पण था ही, अपने शिक्षा गुरु के प्रति भी पूर्ण समर्पित थे। महाप्रज्ञ वह होता है जो प्रसन्न रहे। महाप्रज्ञ वह होता है जो प्रतिक्रिया मुक्त रहे। साध्वी प्रज्ञप्रभाजी ने आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी की बाल सुलभ चंचलता से लेकर स्थिरयोगी की यात्रा पर प्रकाश डाला। अध्यक्ष ममता समोता ने अपने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मंडल, ज्ञानशाला प्रशिक्षिका अंजू कठौतिया, मोहनलाल सेठिया ने गीत प्रस्तुत कर अपनी भावांजलि अर्पित की। पदमा मेहता ने महाप्रज्ञ अष्टम के द्वारा मंगलाचरण किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रेक्षाध्यान का प्रयोग किया गया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी गीतार्थप्रभाजी ने किया।