समणी गण में शोभे

समणी गण में शोभे

आई भोर रुपाली है, गणवन में दीवाली है।
समणी गण में शोभे ज्यूं मानो हीरकणी।।
मोदी कुल री लाल लाडली, मोत्यां बिचली लाल है,
तुलसी कर स्यूं संयम पाकर जीवन ओ खुशहाल है।
दिन-दिन प्रतिभा है निखरी, ''सविता'' री आभा बिखरी,
संयम-क्षमता री सौरभ फैली घणी रै घणी।।
सौम्य सुधा बसै हिरदे में, समतारस वरसावणी,
सहज-सरल अनुशासन शैली सगलां रे मनभावणी।
अन्तर में ही रमण करै, कर्तव्यां ने नहीं बिसरे,
आध्यात्मिक वैज्ञानिक जीवन री शान बणी।।
महाप्रज्ञ री सन्निधि में प्रक्षा रस रो जो पान कियो,
विनय, समर्पण, सहनशीलता, स्यूं उणने अनुपान दियो।
गुरुवां रै मन भाई है, किरपा मिली सवाई है,
गुरु महाश्रमण शासण में अभिनव ख्यात बणी।।
लय - मेहंदी रची म्हारै