पहनाया नव सेहरा है

पहनाया नव सेहरा है

तेरापंथ के भव्य भाल पर, प्रभु ने चित्र उकेरा है।
साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा को, पहनाया नव सेहरा है।।
वैशाखी चवदस को प्रभु ने, नव इतिहास रचाया है।
अपने दीक्षा दिन पर तुमको, प्रमुखा पद बक्साया है।
श्रमणी गण सिरमौर बनी तुम, आया नया सवेरा है।।
खुशियों की रिमझिम बारिश नित, होती रहती गणवन में।
तेरा स्नेहिल साया पा, मंदार खिला गण प्रांगण में।
ममतामयी मां! तुम को पाकर, प्रफुल्लित मानस मेरा है।।
श्रद्वा के फूलों की लड़ियां, लो स्वीकारो महासतीवर।
नव निर्माण करो नव युग का, कर में आया है अवसर।
दीप और ज्योति सा रिश्ता, तेरा मेरा गहरा है।।
जीओ साल हजारों माते ! करे कामना हम मिलकर।
प्रभु कृपा की दौलत का, तुम पाना हर पल अभिनव वर।
गण कल्याणी! चिन्ताचूर्णी! सबल सहारा तेरा है।।
लय: कलियुग बैठा