चयन ये मंगलकारी है

चयन ये मंगलकारी है

नवमी साध्वी प्रमुखा का चयन ये मंगलकारी है।
निज दीक्षोत्सव पर विभुवर का निर्णय गण हितकारी है।
गण हित का अभिनंदन, प्रभु पथ का अभिनंदन।।
शासन माता को हर पल चित्त समाधि पंहुचाई।
गणहित अभिनव चिन्तन से प्रकट हुई है पुण्याई।
महाप्रज्ञ की प्रज्ञा का सिंचन ये, वरदाई है।
प्रज्ञा का अभिनन्दन, आस्था का अभिनन्दन।।
रोम-रोम में करुणा का अविरल झरना बहता है।
कोमल अनुशासन शैली, सबका मन यह कहता है।
सुघड़ व्यवस्था कौशल में सरदारसती सहचारी है।
करुणा का अभिवंदन, अनुशासन को वन्दन।।
जब-जब जिसने जो मांगा समयोचित वह पूर्ण किया।
नन्ही-नन्ही कलियों को स्नेह सालिल अनुपान दिया।
चिंतन की स्फुरणा शोभन, मंथन मति मनहारी है।
चिन्तन का अभिनन्दन, मंथन को है वंदन।।
आचारनिष्ठता ही झलकी, जब-जब भी देखा तुमको।
''नियम निष्ठ मैं बनी रहूं'' आशीर्वाद मिला मुझको।
''आए ना शैथिल्य कहीं'' शिक्षा भवमय हारी है।
निष्ठा का अभिनन्दन, जागृति को है वंदन।।
लय - तुम दल की धड़कन में