चयन दिवस शुभ आया

चयन दिवस शुभ आया

चयन दिवस शुभ आया।
साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा नाम जन-जन के मन भाया।
प्रभु के दीक्षा दिन सह तेरा मनोनयन दिन आया।।
शहर लाडनूं मोदी परिकर जन्म हुआ सुखकारी।
नाम सरोज दिया बाला का संस्कारी मनहारी।
लघु वय में वैराग्य जगा, संयम हित मन उमगाया।।
पारमार्थिक-शिक्षण-संस्था में किया अध्ययन गहरा।
हुई विलक्षण समणी दीक्षा नव इतिहास सुनहरा।
आठ वर्ष तक नियोजिका बन, निज कर्तृत्व दिखाया।।
तुलसी युग श्रेणी आरोहण साध्वी दीक्षा पाई।
मिली निकटतम सेवा महाप्रज्ञ की महर सवाई।
महाश्रमण ने मूल्यांकन कर, प्रमुखा पद बक्साया।।
अथ से इति तक हर स्थिति के सांचे में तुमको ढ़ाला।
मात-तात बन महाप्रज्ञ ने संतति सम संभाला।
गुरु ऊर्जा सम्प्रेषण से, तुमने जीवन चमकाया।।
'शासनमाता' महाश्रमणी सन्निधि में अनुभव पाए।
कसौटियों में खरे उतर कर आगे कदम बढ़ाए।
साध्वी प्रमुखा नवमासन का, तुमने सुयश बढ़ाया।।
विनय और वात्सल्य अनूठा प्रवर शासना कौशल।
चित्त समाधि पूर्ण व्यवस्था, जागरूकता पल-पल।
प्रखर प्रभावक प्रवचनशैली, लेखन सुघड़ सुहाया।।
अप्रमत्त स्वाध्यायशील, अध्यात्मनिष्ठ गुणग्राही।
मृदु व्यवहारी आत्म विहारी, श्रुतसागर अवगाही।
पा तुम जैसी साध्वी प्रमुखा, जागा भाग्य सवाया।।
लय - संयम मय जीवन हो