चार दिवसीय प्रवास में बही अध्यात्म की गंगा

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चार दिवसीय प्रवास में बही अध्यात्म की गंगा

जयगांव। समणी डॉ मंजूप्रज्ञा जी एवं समणी स्वर्णप्रज्ञा जी का जयगांव में चार दिवसीय प्रवास रहा। समणी जी ने भक्तामर स्त्रोत्र, विघ्नहरण की ढाल, मुणिन्द मोरा की ढाल आदि का सामूहिक संगान करवाया। समणी जी ने बताया कि ये स्तोत्र और ढालें चामत्कारिक हैं। इनके संगान से मंत्रित पानी का उपयोग कर हम अनेकों बीमारियों से निजात पा सकते हैं, स्वस्थ रह सकते हैं। समणी जी ने इन रचनाओं के घटना प्रसंग भी सुनाए और इन सबसे संबंधित अनेक जानकारियां दी। इस छोटे से प्रवास में समणी जी ने अनेक सारगर्भित जानकारियां दी। श्रावक-श्राविकाओं ने समणी जी के प्रवास का पूरा-पूरा लाभ लिया।