विद्या, विनय और विवेक के समवाय हैं आचार्यश्री महाश्रमण

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विद्या, विनय और विवेक के समवाय हैं आचार्यश्री महाश्रमण

तेरापंथ भवन कांदीवली के विशाल प्रांगण में महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी का दीक्षा कल्याण महोत्सव का भव्य कार्यक्रम उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी, 'शासनश्री' साध्वी विद्यावती जी, साध्वी शकुंतलाकुमारी जी, साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में मनाया गया।
इस अवसर पर अपने आराध्य के प्रति शुभकामना व्यक्त करते हुए ओजस्वी वाणी में मुनि कमलकुमारजी ने कहा- आचार्य श्री महाश्रमणजी का व्यक्तित्व विराट और विशाल है। उनके आभामंडल में रहने से और मुखमुद्रा के दर्शन मात्र से सारी थकान दूर हो जाती है। उनके जीवन में विद्या, विनय, विवेक का सुंदर संगम है। भैक्षव शासन को सौभाग्य है कि श्री वृद्धि करने वाले आचार्य मिले हैं। आपने कहा कि कल्याण महोत्सव के शुभ मौके पर संकल्प करें कि हमारा हर कदम उनके इशारों पर, उनके विचारों पर, उनके शब्दों पर, उनके आदेशों पर चले।
आचार्यश्री जी की अभ्यर्थना में कविता प्रस्तुत करते हुए मुनिश्री ने कहा- आज का दिवस अति महत्वपूर्ण है क्योंकि आचार्य श्री का दीक्षा महोत्सव और प्रमुखाश्रीजी का चयन एक ही दिन है।
'शासनश्री' साध्वी विद्यावती जी की सहवर्ती साध्वियों ने गीत का संगान किया। साध्वी प्रियवंदा जी ने कहा - आचार्यश्री महाश्रमणजी गुणों के भंडार हैं। गुरुदेव के कल्याण महोत्सव की सार्थकता तभी होगी जब हम तप और त्याग की भेंट चढ़ायेंगे। साध्वी शकुंतलाकुमारीजी ने कहा – आचार्य श्री महाश्रमणजी करूणा सागर हैं। साध्वी सोमलताजी के जीवन प्रसंग की घटना का उल्लेख करते हुए कहा- गुरु हो तो महाश्रमणजी जैसे हो। डॉ. साध्वी मंगलप्रज्ञाजी ने कहा - आचार्यश्री महाश्रमण जी अनगिन गुणों के पर्याय हैं। आपने आठ सम्पदाओं में से दो सम्पदा का विवेचन करते हुए आचार्य प्रवर की आचार निष्ठा और संयम निष्ठा को बेजोड़ बताया। साध्वी संचितयशा जी, साध्वी राजुलप्रभाजी, साध्वी मृदुयशाजी ने महाश्रमण महा लैब कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
मुनि अमन कुमारजी, मुनि मुकेश कुमारजी ने गुरु भक्ति के संस्मरण सुनाते हुए मधुर स्वर लहरियों से गुरुदेव की अर्चना की। मुनि नमिकुमारजी ने अपने जीवन के रोमांचकारी संस्मरणों को सुनाते हुए कहा - मेरे मस्तक पर मेरे संयमप्रदाता, सरलमना गुरुदेव का व उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी का वरद हस्त है। मैं तप के क्षेत्र में आगे बढ़ूं। गुरुदेव को 50वें दीक्षा महोत्सव
पर भेंट देते हुए नौ की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।
साध्वी प्रेरणाश्रीजी ने मुक्तक के द्वारा, साध्वी जागृतप्रभाजी व साध्वी मृदुयशाजी ने कविता के माध्यम से एवं साध्वी रक्षितयशाजी ने गीत के माध्यम से अपनी भावभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ रेणू कोठारी के मंगल गीत से हुआ। अनेकों श्रावक-श्राविकाओं ने तप-त्याग में अपनी सहभागिता दर्ज की। ज्ञानशाला के बच्चों ने गीत की सुन्दर प्रस्तुति दी।
मुंबई सभा से नवरतन गन्ना ने स्वागत वक्तव्य दिया। श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाउंडेशन के मंत्री प्यारचंद मेहता, मुम्बई तेरापंथ सभा के मंत्री दीपक डागलिया, कांदीवली तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष नवनीत कच्छारा ने पूज्यप्रवर को अभ्यर्थना की। संघ संगान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।