पावन पुण्य प्रभात

पावन पुण्य प्रभात

पावन पुण्य प्रभात सुनहरी किरणें लाया है।
दीक्षा कल्याण महोत्सव, नव उल्लास छाया है।
दिव्य चंद्र सा पुत्ररत्न पा, माँ नेमा धन्य हुई है।
सरदारशहर की मिट्टी पदरज पा कृत-पुण्य हुई है।।
देवदूत सा रूप जिनका, मन को हरने वाला है।
जिनका वचनामृत जड़ में नव पुलकन भरने वाला है।
ओजस्वी वक्ता, महातपस्वी, युगसृजक, युगनायक है।
मानवमानस के संयोजक, मानव धर्म प्रवर्तक है।।
सहज सरल सुंदर है मूरत, देख तुम्हें मन वीणा झंकृत।
ऋजुता, मृदुता, सहनशीलता, देखी अद्भुत विनयशीलता।
है महाश्रमण कामकुंभ और कामधेनु, तेरा है व्यक्तित्व निराला,
युग- युग जीओ नेमा नंदन, गण को बाँटो सदा उजाला।।