युगों युगों तक अमर रहेगा

युगों युगों तक अमर रहेगा

युगों युगों तक अमर रहेगा, महाश्रमण तेरा नाम,
तुमको कोटि-कोटि प्रणाम।
नशामुक्ति का पाठ पढ़ाया, मानवता का शंख बजाया,
प्रान्त-प्रान्त में विचर-विचर कर, नैतिकता का ध्वज लहराया,
चारों और चमकता है यह अणुव्रत सूर्य प्रकाश।।
सत्य अहिंसा के पुजारी, श्रमण संघ के हो अधिकारी,
जन-जन की नैया को तारी, खिल रही तेरी गण फुलवारी,
गुरुवर तेरे दर्शन जग में, परम शांति का धाम।।
मैत्री का संदेश सुनाते, आत्म शान्ति का पाठ पढ़ाते,
सद्भावों का मोल बताते, समता को साकार बनाते,
अन्तर-अरि का दमन किया है, कर सच्चा संग्राम।।
श्रमण संघ के तुम सैनानी, शास्त्रों के तुम अभिनव ज्ञानी,
सुधा भरी तव मंजुल वाणी, शिवपुर की है सही निशानी,
जिन शासन की वृद्धि करते, दिये अनेक अवदान।।
महाश्रमण तुम तरुण तपस्वी, महाश्रमण तुम परम यशस्वी,
महाश्रमण तुम महा मनस्वी, महाश्रमण तुम मधुर वचस्वी,
‘तेरापंथ-विश्व-भारती’ का, तूने किया आगाज,
सह्याद्री पर्वतमाला पर, रच दिया नव इतिहास।।