मानवता के सृजनहार

मानवता के सृजनहार

नेमानंदन गणचंदन मानवता के सृजनहार।
ज्योतिचरण चरणों में श्रद्धा का अनुपम उपहार।
है व्यक्तित्व निराला आला, देवतुल्य कर्तृत्व तुम्हारा।
भैक्षवगण के सरताज, अभिनंदन करता जग सारा।
कलाकार पारखी रत्नों के, हो तुम गण के आधार।
नेमानंदन गणचंदन मानवता के सृजनहार।।
दो गुरुओं की नजरों से मिला ‘महाश्रमण’ संघ नजारा।
देख-देख दो नयनों से पुलकित होता हृदय हमारा।
पद् चिन्हों से धरती मापी, पधारे भारत भूमि पार।
नेमानंदन गणचंदन, मानवता के सृजनहार।।
तुलसी महाप्रज्ञ अहींसा यात्रा, अणुव्रत का अभियान।
सारथी स्वयं बने, मिला जन-जन को वरदान।
गण को गगन शिखरों चढ़ाया, महाश्रमण गण श्रृंगार।
नेमानंनदन गणचंदन, मानवता के सृजनहार।।
शासनमाता का सम्मान बढ़ाया, प्रमुखाश्री जी शान।
तेरापंथ का बढ़ा चहुंदिशि में सम्मान।
वृद्ध, युवा, बाल सभी को मिला विपुल संस्कार।
नेमानंदन गणचंदन, मानवता के सृजनहार।।
दीक्षा कल्याण पूर्ण वर्ष हुवे पच्चास।
जन्म जयंती वर्ष तरेसठ, संघ मनावे खास।
‘कुन्दन’ वंदन अभिनंदन करे चरणों में शत-शत बार।
पन्द्रवां पदाभिषेक दिवस, मन में हर्ष अपार।
नेमानंदन गणचंदन, मानवता के सृजनहार।।