तेरापंथ की तुम तकदीर
तुम धीर, वीर, गंभीर, तेरापंथ की तुम तकदीर।
हे युगप्रधान! जन उद्धारक, हरते हो जन जन की पीर।।
बारह वर्ष की लघु वय में, संयम रत्न धारा।
मुनि सुमेर से दीक्षा लेकर, अपना भाग्य संवारा।।
पंचासवें दीक्षा कल्याणक का, सुअवसर है आया।
तुम जैसा गणमाली पाकर, जन-जन है हर्षाया।।
गढ़े नित नए कीर्तिमान, गण को दी नई पहचान।
पा तुम जैसा सारथी, रथ तेरापंथ का हो रहा गतिमान।।
वैशाख शुक्ला नवमी का दिन, पावन जन्म दिवस तुम्हारा।
रोशन हुआ दुग्गड़ कुल, पा तुम जैसा ध्रुव तारा।।
तिरसठवें जन्म दिवस पर, संघ तुम्हें बधा रहा।
तुम जैसा गणनायक पाकर, भाग्य अपना सराह रहा।।
पंद्रहवां पदाभिषेक तुम्हारा, भावों से करें वर्धापन।
कोड़ दिवाली रहे संघ सरताज, युगों युगों तक पाएं तुम्हारा पथ दर्शन।।