जीवन निर्माता प्रभुवर भाग्य विधाता
अभिनन्दन शत-शत वन्दन, युग प्रधान गुरुराज।
गुरु महाश्रमण मिले हैं, सुरभित सुमन खिले हैं।
सुरभित सुमन खिले हैं, खुशियों के दीप जले हैं।
दीक्षा कल्याण महोत्सव हर्ष मनाएं,
आस्था के स्वस्तिक मंगल तिलक लगाएं,
भावों से करते हैं अर्चन सिद्ध बने सब काज।।
नेमानन्दन को पाकर संघ खुशहाल है,
अनुत्तर संयम समता तेजस्वी भाल है,
दशो दशाएं तुम्हें बधाएं करती हैं आगाज।।
जीवन निर्माता प्रभुवर भाग्य विधाता,
धन्य बन जाता जो भी चरणों में आता,
वर्षों की जागी पुण्याई हर्षित सकल समाज।।
संयम की अर्द्ध शती पर प्रभु को बधाएं,
आकर्षक आभामंडल मन को लुभाएं,
शांतिदूत भारत सपूत है दुनिया को नाज।।
वीतराग मोहक मुद्रा लगती मनहारी,
श्रुतधर महाश्रमण की महिमा है न्यारी,
युग-युग जीओ, रहो निरामय शासन के सरताज।।
लय - स्वर्ग से सुन्दर