तुलसी का सुन्दर चयन
वंदना लो वंदना, करते है अभिवंदना।
महाश्रमण गणराज, नेमासुख पे नाज।।
शुद्ध-बुद्ध सहजानंद, आत्मानंद साधना,
ब्रह्मचर्य है अखंड, निज स्वरूपाऽराधना।
शिवं-सत्य-सुन्दर गणशेखर योगीश्वरम।
जय-जय ज्योतिचरण, जय-जय महाश्रमण।।
वर्धापना शुभकामना है, तुलसी का सुन्दर चयन,
मोहन, मुदित से महाश्रमण संघ के तुम हो नयन।
ब्रह्मा, विष्णु, शिव हो, सबके तुम तकदीर हो।
जय-जय ज्योतिचरण, जय-जय महाश्रमण।।
शांतिदूत दिव्यदृष्टि, तिन्नाणं व तारयाणं।
हसरत यही मुमुक्षु आये परमार्थ की ओर बढ़े कदम।
कल्याण का मार्ग बने धर्म अनुरागी चले।|
जय-जय ज्योतिचरण, जय-जय महाश्रमण।।