कलयुग बैठा मार

कलयुग बैठा मार

महाश्रमण महायोगी के जीवन की गाथा गाएंगे,
उनके कद‌मों पर चलकर हम अपना भाग्य सजाएंगे।
महाप्रज्ञ के पट्टधर तुम हो, महातपस्वी कहलाए,
धरती के मंदार तुम हो, मां नेमां के घर आए।
तेरे इंगित पर चलकर हम, जीवन धन्य बनाएंगे।।
पौरुष के हो प्रखर पुंज तुम, अहिंसा परम पुजारी हो,
सुप्त चेतना जगे हमारी, प्रभु निर्ग्रन्थ विहारी हो।
मनमोहक मुस्कान से गण की, बगिया को सरसाएंगे।।
अमृत पुरुष तुम्हारी वाणी, युग को देती नवसंबल,
रहो निरामय शासन नायक, मिले सभी को आत्मिक बल।
पंचाचार की चले साधना, वरदान नया हम पाएंगे।।
ज्योतिचरण ज्योतिर्धर तुम हो, ईसा- बुद्ध-महावीर हो,
शबरी के ज्यों प्रभु घर आए, भैक्षव गण तकदीर हो।
रचो नया इतिहास मेरे प्रभो! युग-युग तुम्हें बधाएंगे।।