जन-जन मन हरषाए रे

जन-जन मन हरषाए रे

महाश्रमण दीक्षा कल्याणक, जन-जन मन हरषाए रे।
गण गौरव गाएं हो फूले न समाए, हम तुम्हें बधाएं।।
मां नेमां के लाल लाडले, झूमर कुल उजियार,
महाप्रज्ञ के सक्षम पटधर, श्रेष्ठ बने अणगार।।
महायशस्वी महातपस्वी, तुम हो पुण्य निधान,
वत्सलता के महासमन्दर, करते अमृतपान।।
चंदेरी में महाश्रमण पद, गंगाणे युवराज।
सरदारशहर में तेरापथ गण, के बन गए सरताज।।
छक्कम छक्का राज करो तुम, तेरापंथ गणेश।
दीर्घायु बन करो शासना, है शासन करूणेश।।
लय - इक झोली में