एक ही दिन में दो स्थानों में लगा चार तीर्थ का ठाठ
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी ठाणा 4 अंधेरी, मुंबई से विहार कर तेरापंथ भवन, गोरेगांव पधारे। वहां प्रवचन कर मलाड़ भवन पधारे जहां विराजित डॉ. साध्वी पीयूषप्रभा जी से मुनिश्री का वर्षों बाद आध्यात्मिक मिलन हुआ। वहां मुनिश्री सुबह और दोपहर दो समय का प्रवचन कर कांदीवली भवन पधारे जहां विराजित 'शासनश्री' साध्वी विद्यावती जी द्वितीय ने आपका भावभरा स्वागत किया। दोनों साध्वियों ने कहा कि आपका लम्बा विहार करना पूर्ण सार्थक हो गया। गुरु दर्शन, संघ मिलन के साथ सहोदरी 'शासनश्री' साध्वी सोमलताजी को आपकी सेवा, दर्शन के साथ अंत में चौविहार का प्रत्याख्यान करवा कर आपने बहुत बड़ा काम किया। साध्वी सोमलताजी वक्ता, लेखिका, गायिका के साथ एक आचारवान और व्यवहार कुशल साध्वी थी। मुनि अमन कुमारजी ने दीक्षा की प्रेरणा प्रदात्री साध्वीश्री से मिलकर स्वरचित गीत का संगान कर सबको मंत्र मुग्धकर दिया। 'शासनश्री' साध्वी विद्यावती जी ने मुनि अमनकुमार जी के गीत को सुनकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुनि कमलकुमारजी के सुश्रम की प्रशंसा की।