बन गए सबके भगवान, गुरुवरम्
जय हो, तेरी साधना, जय हो, तेरी शासना,
करते तुझको नमन, गुरुवरम्। झूमे खुशियों से मन, गुरुवरम्।
बालक मोहन था सौभागी, उभरा बन करके वैरागी,
कोई कहे तुझे पुण्यवान, बन गए सबके भगवान, गुरुवरम्।।
श्री कालू की फेरी माला, उतरा मन में नया उजाला,
संकल्पों की ज्योत जलाई, मिला साधना पंथ निराला।
मुनि सुमेर का योग मिला, संयम का नव पुष्प खिला।।
उजली-उजली भोर तुम्हीं हो, शासन के सिरमोर तुम्हीं हो,
चंचल मन की डोर तुम्हीं हो, भक्तों के प्रभु ठोर तुम्हीं हो।
कोई कहे तुझे उग्रविहारी, तुम निश्चय ही अतिशयधारी।।
सम, शम अरु श्रम की भेरी बाजे, करुणा से दिल तेरा राजे,
वत्सलता तेरे नयनों में शोभे, श्रुत देवी चरणन विराजे।
कोई कहे त्रिभुवन के त्राता, आत्मसुखों के तुम सन्धाता।।
देव ! भिक्षुशासन के तुम हो महेश, पदरज से मिटते हैं संकट अशेष,
वाणी में तेरे जादू भरा है, देती है प्रेरणा का टॉनिक विशेष।
युग-युग जिओ हे गणमाली, तुमसे आठों याम दिवाली।।
(लय - लागी तुमसे लगन)