जय हे जय ज्योति चरण
जय हे जय ज्योति चरण,
जय हे जय-जय महाश्रमण, ओ मेरे भगवान।।
तुम्हीं मेरे राम हो, श्याम हो, वर्धमान हो, धरूं मैं नित ध्यान।।
तेरापंथ के प्राण तुम, संतो में हो शिरोमणि।
आभा अलौकिक है तेरी, चमकते ज्यों दिन मणि।
जादूभरी मुस्कान है, तुझ-सा नहीं उपमान है।।
जिनशासन की शान।।
निर्धन या धनवान हो, निर्बल या बलवान हो।
अत्राणों के त्राण तुम, करते जनकल्याण हो।
पुण्याई तेरी अजब, प्रशासन शैली गजब।
पौरूष के प्रतिमान।।
हरपल आत्मा में रमण, करते गुरुवर महाश्रमण
विश्व विभूति ने किया, देश-विदेशों में भ्रमण।
करूणा के भंडार हैं, महिमा अपरम्पार है।।
श्रद्धानत है जहान।।
भक्ति तेरी करती रहूं, शक्ति नेमासुत भरो।
भव सागर के पोत तुम, पार भवजल से करो।
मिले युग-युग शासना, 'ऋजुयशा' यह भावना।।
फलित हो अरमान।। ओ मेरे भगवान।।
लय - ए मेरे प्यारे वतन