वीतराग अवतारी हैं
परम उपकारी है, महिमा न्यारी है, सदा आभारी है।
ज्योतिचरण गुरुवरम्, महाश्रमण गुरुवरम्।।
जन्म दिया, जीना भी सिखाया, जयं चरे चिट्ठे, ज्ञान कराया।
संयम में हम स्थिर रह पाएं, हमको इस योग्य बनाया।
भाव ये छलके हैं, शब्द सब हल्के हैं, ऋण ये भारी है।।
कल्याण दिन मैं, वर यही चाहूं, निज पर का कल्याण कर पाऊं।
इंगित का करके आराधन, 'बुद्धपुत्ती' शीघ्र बन जाऊं।
उपशम उत्तम है, बनाते सक्षम हैं, वीतराग अवतारी हैं।
मात-पिता सा गुरु का है साया, गुरु कृपा की रहे छत्र छाया।
सतत स्मति में रहता है जो अनुकंपा रस बरसाया।
मेरे भगवन् हम करते अर्चन हैं, बनके पुजारी हैं।
लय - तू कितनी अच्छी है