प्रखर तेज तेरा अभिनंदन

प्रखर तेज तेरा अभिनंदन

प्रखर तेज तेरा अभिनंदन, सौम्य रश्मियों को है वंदन।
वाणी तेरी शीतल चंदन, मेटे भव-भव के दुख क्रंदन।।
नयनो में वात्सल्य बरसता, अनुपम जीवन सहज सरसता।
कष्टो में रहती है समता, मेटे जग की सकल विषमता।।
राग-द्वेष रहित निर्ग्रन्थ, निर्मल निर्झर तेरापंथ।
चरणों रहता सदा बसंत, मुनि मुदित जैसा हो संत।।
हे तेरापंथ संघ सरताज, पवन वेग ज्यों चरण गतिमान।
भारत, भूटान नेपाल भू पर, गुंजित है तेरापंथ महान।।
चिंतन विशद युगीन तुम्हारा, मानवता का रूप संवारा।
नैतिक मूल्यों पर दृढ़ आस्था, बहे अमन शांति की धारा।।
संयम यात्रा का सफर सुहाना, पल-पल निज चेतन को जाना।
पाया तुमने छुपा खजाना, रच दिया अभिनव अफसाना।।
कदम बढ़े जिस ओर हमारे, गतिशील रहें निज पथ हम सारे।
रहे विशुद्ध आचार संघ में, गणनायक ही सबल सहारे।।