गण में खुशियां रो आयो त्योहार
गण में खुशियां रो आयो त्योंहार, स्वर्ण जयंति रो।
चिंहु दिशि में हर्ष अपार, स्वर्ण जयंति रो।।
झूमर नेमा नंदन प्यारा, गुरु तुलसी रा नयन सितारा।
श्री भैक्षव शासन सिणगार।।
गुरु रो गौरव शिखर चढ़ावै, सुयश ऋचावां कोयलियां गावे।
आनंद रा बाजै है सितार।।
धरती रो कण-कण चरणां स्यूं फरस्यो, वचणां स्यूं वीरवाणी अमृत बरस्यो
उपलब्ध्यां रो लाग्यो है अंबार।।
वीतरागता प्रभु री मनहारी, मुस्कान मिटावे दुविधा सारी।
प्रमुदित है सारो संसार।।
श्रम सिकर रा उज्जवल मोती, निष्ठा पंचक जीवन ज्योति।
चोथो आरो बरते सुखकार।।
श्रद्धा सुमनां री भेंट सजावां,डायमंड पट्टोत्सव जुबली मनावां।
अन्तर्दिल रा है म्हारां उद्गार।।