युगप्रधान तेरी महिमा
मेरे गुरुवर महाश्रमण की बात ही कुछ और है।
है युगप्रधान तेरी महिमा का, ओर ना कोई छोर है।
परमार्थ समर्पित जीवन है, संयम निष्ठा जिनका प्रण है।
आर्हत् वांग्मय की सौरभ को, यह महकाते चिंहुओर है।।
भिक्षु के ग्यारहवें पट्टधर, गंभीर, धीर विरले श्रुतधर।
मर्यादा, अनुशासन द्वारा, संभाली गण की डोर है।
लंबी-लंबी पदयात्रा द्वारा, चमकाया तेरापंथ तारा।
शांतिदूत की यश गाथा, आज फैल रही हर ओर है।
लाखों की किस्मत है संवारी, गुरुवर महाश्रमण उपकारी।
है कृतज्ञ हम चरणों में, गुण गाती पोर-पोर है।