आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार

परम प्रतापी आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के 15वें महाप्रयाण दिवस का कार्यक्रम मलाड़ तेरापंथ भवन में साध्वी शकुन्तला कुमारी जी व डॉ० साध्वी पीयूषप्रभाजी के सान्निध्य में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ नमस्कार महामंत्रोच्चार व 'ॐ श्री महाप्रज्ञ गुरुवे नम:' के जप द्वारा किया गया। रेखा व वंदना जैन ने मंगल स्तुति की । तेयुप अध्यक्ष पेलेस मेहता, सभा अध्यक्ष इन्द्रमल जैन, मंत्री हस्ति भंडारी, तोलाराम जैन, तेयुप मंत्री विनोद सोलंकी, महिला मंडल मंत्री मीना बाफणा, क्षेत्रपाल मंदिर के मांगीलाल लोढ़ा, युक्ति, ध्यानी एवं प्रेमलता जैन व महिला मंडल ने गीत के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। साध्वी जागृतप्रभाजी ने कविता, साध्वी सुधाकुमारीजी ने गीत एवं साध्वी भावनाश्रीजी ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। साध्वी संचितयशाजी, साध्वी दीप्तियशाजी, साध्वी रक्षितयशाजी ने आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के व्यक्तित्व व कर्तृत्व का रोचक विवरण प्रस्तुत किया।
डॉ० साध्वी पीयूषप्रभाजी ने कहा - आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी उच्च कोटि के चिंतक और मनीषी ही नहीं, वे श्रेष्ठ साहित्यकार और कवि भी थे। उनके साहित्य में समसामयिक समस्याओं का समाधान मिलता है। आपने कहा - उनका काव्य साहित्य आकर्षक है। महावीर और मेघ का संवाद जीवन और दर्शन की कई गुत्थियों को सुलझाने वाला है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को महाप्रज्ञ साहित्य पढ़ना चाहिए। साध्वी शकुन्तलाकुमारी जी ने कहा- आचार्य महाप्रज्ञजी मणिधारी मां बालूजी के पुत्र थे। गणाधिपति गुरुदेव तुलसी ने उन्हें अज्ञ से महाप्रज्ञ बनाने में पुरुषार्थ किया। अनेक रोचक संस्मरणों का श्रवण कराते हुए साध्वीश्री ने कहा- आचार्य महाप्रज्ञ जी समर्पण व संकल्प शक्ति से महायोगी, महान दार्शनिक, विशिष्ट संत व तेरापंथ धर्मसंघ के महान, तेजस्वी आचार्य बने।