आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार

मुनि रश्मिकुमार जी एवं सहवर्ती मुनि प्रियांशु कुमार जी के पावन सान्निध्य में प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का 15वां महाप्रयाण दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुनि रश्मिकुमार जी ने नमस्कार महामंत्र एवं जप का प्रयोग प्रारम्भ में कराया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष अशोक जीरावला ने सभी का स्वागत किया। तेरापंथ कन्या मंडल के मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने गीतिका की प्रस्तुति दी। तनिष्क कोठारी ने गुरुदेव आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का संक्षिप्त में परिचय दिया। मुनि रश्मिकुमार जी ने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ के 10वें आचार्य परम पूज्य आचार्य महाप्रज्ञ जी अपने गुरु तुलसी के विनित शिष्य थे। गुरु की कृपा दृष्टि से आप कंकर से शंकर बने, तेरापंथ के सरताज बने। आप महान लेखक, कवि, रचनाकार, एवं संस्कृत भाषा के महान पंडित कहलाते थे। आप ने लगभग 300 पुस्तकों का लेखन किया। मुनि प्रियांशु कुमार जी ने आचार्य महाप्रज्ञ जी को अपने भावों से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ओम् एवं अष्ट मंगल का महत्व बताया। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथ सभा अध्यक्ष अशोक जीरावला ने किया। अंत मे तेरापंथ सभा के सहमंत्री जितेंद्र सुराणा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।