आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार
आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी की 15वीं पुण्यतिथि शाहीबाग, अहमदाबाद में मुनि मुनिसुव्रतकुमार जी आदि ठाणा 7 के सान्निध्य में सैकड़ों श्रावक- श्राविकाओं की उपस्थिति में बड़ी श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनिश्री के महामंत्रोच्चार से हुआ। मुनिश्री ने कहा कि करोड़ों में कोई विरले ही होते हैं जो महाप्रज्ञ बन पाते हैं। वे आचार्य कालूगणी व आचार्य तुलसी की करुणा व अनुशासन की छैनी से तराशे गए ऐसे महापुरुष के रूप में प्रतिष्ठित हुए जिनकी तुलना विवेकानन्द से की जाती है। उनके जीवन से हमें अनेकानेक शिक्षाएं मिलती हैं। यदि एक भी शिक्षा हमारे जीवन में आ जाए तो जीवन धन्य हो जाए। मुनि आकाश कुमारजी ने भीतर की सुप्त चेतना को जगाकर महाप्रज्ञ बनने की प्रेरणा दी। जिस प्रकार वे नत्थु से महाप्रज्ञ बन गए, अज्ञ से विज्ञ बन गए, हम भी पुरुषार्थ कर जीवन का अच्छा निर्माण कर सकते हैं। सभा अध्यक्ष कांतिलाल संकलेचा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।