अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम
'शासनश्री' साध्वी मानकुमारी जी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया महोत्सव आयोजित किया गया। साध्वीश्री ने तप अनुमोदना करते हुए कहा - भगवान ऋषभ ने लगभग 13 महीनों की तपस्या की। प्रपौत्र श्रेयांश ने इक्षुरस का सुपात्र दान देकर ऋषभ भगवान का पारणा करवाया। अक्षय तृतीया का यह पर्व हमें सुपात्र दान देने की प्रेरणा देता है जिसे देकर हम भव परंपरा से मुक्त हो सकते हैं। अजर-अमर बन सकते हैं। वर्षीतप करना बहुत कठिन है। इंद्रिय संयम के साथ-साथ अनासक्ति चेतना का विकास होता है। वर्षीतप की अनुमोदना करते हुए साध्वीश्री जी ने श्रावक-श्राविकाओं को वर्षीतप करने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर ज्ञानशाला के बच्चों ने ‘तीज बन गई अक्षय’ कार्यक्रम की रोचक प्रस्तुति दी। साध्वी कमलयशाजी एवं साध्वी चैत्यप्रभा जी ने तप अनुमोदन पर विचार रखते हुए सुमधुर गीत का संगान किया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष विमल सिंह दुधेड़िया, मंत्री कमल दुगड़, तेयुप अध्यक्ष मुकेश श्रीमाल एवं महिला मंडल ने गीत व वक्तव्य के माध्यम से वर्षीतप आराधिकाओं का अभिनंदन किया। तेरापंथ सभा, महिला मंडल तथा युवक परिषद् ने वर्षीतप करने वाली बहनों सुंदर देवी दुधेड़िया एवं राजू देवी संचेती को प्रशस्ति पत्र व प्रतीक चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी स्नेहप्रभा जी द्वारा मंगलाचरण से हुआ। साध्वी इंदूयशा जी ने कार्यक्रम का कुशल संयोजन किया। कार्यक्रम में श्रावक - श्राविकाओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। ‘तीज बन गई अक्षय’ कार्यक्रम में प्रस्तुति देने वाले सभी कलाकारों का विमला देवी घोषल धर्म पत्नी स्व. गुलाबचंद घोषल परिवार द्वारा पुरस्कृत कर उत्साहवर्धन किया गया।