दिल से सौ-सौ बार बधाऐं
प्रमुखा जी के चयन दिवस पर दिल से सौ-सौ बार बधाऐं।
महाश्रमण की सूझ-बूझ को एक पलक भी न विसरायें।।
तुलसी महाप्रज्ञ करूणा से जागृत रहती बाह्याभ्यंतर,
शासन माता का संरक्षण वर्षों वर्षों मला निरंतर।
देश-विदेशों की यात्रा कर कितने-कितने अनुभव पाये।।
जहां पधारी वहां आपने भैक्षवगण की शान बढ़ाई,
हिन्दी संस्कृत प्राकृत इंग्लिश सबमें पारंगत कहलाई। भाषण लेखन कला मनोहर श्रोता पाठक सब गुण गाये।।
विश्रुतविभा नाम आपका शत प्रतिशत सार्थक बन पाया, क्षमा सहिष्णुता के कारण ही अजब गजब व्यक्तित्व बनाया।
तपी तपाई सजी धजी साध्वीप्रमुखा पा भाग्य सरायें।।
चंदेरी ने तीन-तीन दी क्रमश: ख्यात नाम प्रमुखायें, कितनी भाग्यशालिनी धरती भिक्षु गरु ने चरण टिकाये। तेरापंथ धर्म संघ की राजधानी सबके मन भाये।।