आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा कल्याण वर्ष की सम्पन्नता पर िवविध आयोजन
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के पावन सान्निध्य में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का 53वां जन्मदिवस, भगवान महावीर का केवल ज्ञान दिवस एवं आचार्यश्री महाश्रमणजी का 15वां पदाभिषेक दिवस मीरा रोड़, भायंदर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ द्विदिवसीय कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया। दोनों दिन सामायिक के बेले रखे गये। मुनिश्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि भगवान महावीर को हमने नहीं देखा परंतु आचार्यश्री महाश्रमणजी के जीवन की हर प्रवृत्ति को हम देख रहे हैं कि उनका चलना, बोलना, बैठना, खाना, पीना सभी संयममय है। उनकी हर प्रवृत्ति हमारे लिए प्रशंसनीय ही नहीं अनुकरणीय भी है। इतना परिश्रम करते हुए भी कभी चेहरे पर थकान नजर नहीं आती, उनके दर्शन मात्र से ही शरणागत को ऐसी ऊर्जा प्राप्त होती है कि महीनों-वर्षों की थकान से ही उतर जाती है। हमारा परम सौभाग्य है कि हम आचार्य भिक्षु के संघ में दीक्षित हुए, हमने क्रमश: तीन आचार्य देखे। आचार्य श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ एवं आचार्य श्री महाश्रमण तीनों ही युगप्रधान हैं यह भी अद्भुत योग मिला है। हम यह मंगल कामना करते हैं कि गुरुदेव निरामय और चिरायु हों और हमें युगों-युगों तक आपका कुशल मार्ग-दर्शन प्राप्त होता रहे। कार्यक्रम में मुनि अमनकुमारजी, मुनि मुकेशकुमारजी, रूपचन्द गोठी, भगवतीलाल जैन, परेश जैन, उर्मिला हिंगड़ आदि ने अपने विचार व्यक्त किये, युवक परिषद ने समूह गीत का संगान किया।