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युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के जन्मोत्सव, पट्टोत्सव एवं दीक्षा कल्याण महोत्सव के अवसर पर तेरापंथ भवन शिवमोग्गा में आयोजित अभ्यर्थना समारोह में मुनि मोहजीत कुमार जी ने कहा- आचार्य महाश्रमण के श्रमणत्व को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। उनका श्रमणत्व बाह्य और आन्तरिक पवित्रता से भावित है। मुनिश्री ने आचार्यप्रवर के जीवन के अनेक प्रसंगों को भी प्रस्तुत किया। मुनि भव्यकुमार जी ने आगम में वर्णित श्रमणत्व के अस्तित्व की आचार्य महाश्रमण के कर्तृत्व से तुलनात्मक प्रस्तुति दी। मुनि जयेशकुमार जी ने आचार्य महाश्रमण के आदर्श श्रमणत्व को व्याख्यायित कर उनके साथ घटित जीवन के कुछ रोमांचक क्षणों को भावपूर्ण प्रस्तुति दी एवं स्वरचित गीत का संगान किया। इस अवसर पर मलनाड क्षेत्र से अनेक श्रद्धालु श्रावक उपस्थित थे। मुनि श्री के चातुर्मास क्षेत्र चिकमगलूर से काफी लोगों का आगमन हुआ। कार्यक्रम में तेरापंथी सभा अध्यक्ष चन्दनमल भटेवरा ने आगन्तुकों का स्वागत किया। चिकमगलूर सभा अध्यक्ष ताराचन्द सेठिया, भंवर लाल नाहर, सुवर्णा कोठारी ने श्रद्धा भरे विचार प्रकट किए। तेरापंथ महिला मण्डल ने महाश्रमण अष्टकम् , गीत एवं सिम्पोजियम से भावांजलि अर्पित की। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने श्रद्धाभाव प्रस्तुत किए। आभार चन्द्रप्रकाश छाजेड़ ने तथा कार्यक्रम का कुशल संचालन मंडल अध्यक्षा सुनीता बाफना ने किया।