आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा कल्याण वर्ष की सम्पन्नता पर िवविध आयोजन

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आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा कल्याण वर्ष की सम्पन्नता पर िवविध आयोजन

आचार्यश्री महाश्रमणजी का व्यक्तित्व अपार आध्यात्मिक संपदाओं से सुशोभित है। आपकी अप्रमत्त चेतना व पापभीरुता अनुकरणीय है, श्रमशीलता श्रेष्ठ है, संघ संचालन क्षमता अद्भुत है, संकल्पनिष्ठा बेजोड़ है, समता अडिग है, प्राण ऊर्जा व आभामंडल परम पवित्र है। आपके विराट व्यक्तित्व के सामने कल्पवृक्ष, चिंतामणि रत्न व कामधेनु भी बौने प्रतीत होते हैं। उक्त विचार 'शासन गौरव' बहुश्रुत साध्वी कनकश्रीजी ने अणुविभा केन्द्र के महाप्रज्ञ सभागार में आचार्य श्री महाश्रमणजी के 63वें जन्मोत्सव, 15वें आचार्य पदाभिषेक महोत्सव एवं दीक्षा कल्याण महोत्सव के उपलक्ष में व्यक्त किए। साध्वीश्री ने आगे कहा- यह वैशाख का महीना तेरापंथ धर्मसंघ के लिए उपहार स्वरूप है। धर्मसंघ की अत्यंत पुण्याई का उदय है कि ऐसे सिद्धपुरुष व महान लब्धिधर आचार्य हमें प्राप्त हैं जो पूर्व दसों आचार्यों की विशिष्ट शक्तियों से संपन्न हैं। सर्वप्रथम महाश्रमण अष्टकम् का संगान साध्वी समितिप्रभाजी व निष्ठा मरलेचा ने किया। साध्वीवृंद ने समवेत स्वरों में गीत का संगान किया। साध्वी मधुलेखाजी ने श्रद्धाभक्ति भाव सुमन अर्पित किए। युवा दिवस के उपलक्ष्य में युवक परिषद् व संदीप भण्डारी ने भावपूर्ण गीतिका द्वारा प्रस्तुति दी। कन्या मंडल व महिला मंडल ने एक्शन व प्रोप्स के साथ सुमधुर गीत का संगान किया। सभा अध्यक्ष हिम्मत डोसी, अणुविभा केन्द्र अध्यक्ष पन्नालाल बैद, नरेश मेहता, युवकरत्न राजेन्द्र सठिया, शांतिलाल गोलछा, नीरु मेहता आदि ने आस्थासिक्त विचार प्रस्तुत किए। तेयुप अध्यक्ष अमित छल्लाणी ने आभार ज्ञापन किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी संस्कृतिप्रभाजी ने किया।