ये जीत की जय-जयकार है

रचनाएं

– लता मादरेचा, राजनगर

ये जीत की जय-जयकार है

ये भिक्षु का चमत्कार है, ये जीत की जय-जयकार है,
ये तुलसी का वरद हस्त है, या महाप्रज्ञ से पथ प्रशस्त है।
संघ शेखर महाश्रमण महा मंगलकारी है, मर्यादा, अनुशासन से वैरागी है,
हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख के उपकारी हैं।।
नेपाल का वो भीषण भूकंप था, पर यह महापुरुप अकम्प था,
वो पलायन का वातावरण था, अटल अडोल गुरु महाश्रमण था।
पूरे संघ में चिंता व्याप्त थी, पर आप में दृढ़ता पर्याप्त थी,
जागृत आप की अंतर्दृष्टि थी, पर लगता आपकी दूरदृष्टि थी।।
अनुकम्पा के करुणा सागर, 15वें पदाभिषेक पर भर दो गागर,
सम, शम, श्रम, की युति से सार्थक, महाश्रमण अभिधा पंचाक्षर।
धन्य हुआ धरणी का कण-कण, महाप्रज्ञ से महातपस्वी पाकर,
भिक्षु पट्ट पर महाश्रमण की सेवा में तत्पर हैं सारे चाकर।।
देश विदेशों की धरती पर अभिनव रंग लगाया,
यात्राओं का कीर्तिमान गढ़ नव इतिहास रचाया।
त्रिसूत्री आयाम शुभंकर स्वस्थ समाज बनाया,
दीक्षा स्वर्ण जयंती पर पूरे विश्व ने आपको बधाया।।