दीक्षा दिवस ‘युवा दिवस’ के रूप में आयोजित

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दीक्षा दिवस ‘युवा दिवस’ के रूप में आयोजित

अजमेर। जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा अजमेर द्वारा युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी का दीक्षा दिवस ‘युवा दिवस’ के रूप में आयोजित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए साध्वी शांताकुमारी जी ने कहा कि दीक्षा दिवस एक संत का दूसरा जन्म दिवस है। ठाणांग सूत्र में हर प्रकार के साधु की चर्चा की गई है। इसमें सिंहवृति से ही संयम को स्वीकार करने वाले तथा सिंहवृति से ही उसे पालन करने वाले को श्रेष्ठ साधु कहा गया है। उन्होंने कहा कि आचार्य महाश्रमण ऐसे ही श्रेष्ठ साधु हैं। उनका जीवन अप्रमत्त, श्रमशील, साधनाशील है।
आचार्यश्री तुलसी तथा आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी जौहरी थे, जिन्होंने महाश्रमण जी को परख लिया। साध्वीश्री जी ने कहा दीक्षा जागना है, व्रतों का संग्रह है। दीक्षा अनंत की यात्रा है, अध्यात्म साधना का पथ है। यह एक पवित्र संस्कार है, जीवन की विशेष उपलब्धि है।
हर सम्प्रदाय में दीक्षा का महत्व है। जैन धर्म में व उसमें भी तेरापंथ धर्म संघ में दीक्षित होना विशिष्ट सौभाग्य की बात है, आचार्य श्री तुलसी की आज्ञा से आचार्य महाश्रमणजी ने मुनि सुमेरमल जी लाडनूं से सरदारशहर में दीक्षा ग्रहण की। बालक मोहन मुनि मुदितकुमार हो गए। मुदित से महाश्रमण बने, महाश्रमण से युवाचार्य - आचार्य बनकर तेरापंथ धर्म संघ को नेतृत्व प्रदान कर रहें हैं। उन्होंने इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण के चिरायु, दीर्घायु होने की शुभकामना दी और कहा कि आज के ही दिन साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा जी का चयन दिवस है, उन्हें भी आध्यात्मिक मंगलकामनाएं प्रेषित की। साध्वी ललितयशा जी ने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ में जन्म लेने वाले, उसमें संयम स्वीकार करने वाले और अपनी साधना के द्वारा धर्मसंघ के शिरमौर बनने वाले आचार्यश्री महाश्रमणजी का आज 51वां दीक्षा दिवस है। 'शासनश्री' साध्वी चंद्रावती जी ने कहा आचार्य तुलसी ने आचार्य महाप्रज्ञ जी से एक बार कहा कि मुनि मुदित की आचार निष्ठा, गुरु निष्ठा व विनम्रता के प्रति में आकृष्ट हुआ हूं। भविष्य के प्रति सजग भी हो गया हूं, महाप्रज्ञजी आपको आगे की चिंता करने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण द्वारा श्वेता श्रीश्रीमाल ने किया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अशोक छाजेड़, राकेश छाजेड़, मनीष मणोत, यशवंत मेहता आदि समाज जन उपस्थित थे।