स्व और पर कल्याण में अहर्निश जागरुक हैं आचार्यश्री महाश्रमण

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स्व और पर कल्याण में अहर्निश जागरुक हैं आचार्यश्री महाश्रमण

तंजाऊर, तमिलनाडु। तमिलनाडु के तंजाऊर शहर में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के 63वें जन्मदिवस, 15वां पदाभिषेक दिवस एवं 51वां दीक्षा दिवस–दीक्षा कल्याण महोत्सव का संयुक्त आयोजन ‘अभिवंदना समारोह’ मुनि दीपकुमार जी के सान्निध्य में जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, कुंभकोणम द्वारा श्री शांतिनाथ जैन मंदिर के हॉल में किया गया। मुनि दीपकुमार जी ने अभिवंदना करते हुए कहा– परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमण जी कीर्तिधर महापुरुष हैं। दीक्षा के बाद से क्रमश: वे विकास करते रहे हैं। आपने दो–दो गुरुओं का वरदहस्त प्राप्त किया एवं आज आप धर्म संघ के सरताज हैं। आपने संघ का दायित्व संभालने के बाद यात्राओं का जो कीर्तिमान बनाया वह अद्भुत है। विदेश की धरा पर चातुर्मास करने वाले तेरापंथ के प्रथम आचार्य हैं। आचार्यप्रवर ‘तिन्नाणं तारयाणं’ आगम सूक्त को चरितार्थ करते हुए स्वयं और पर कल्याण में अहर्निश जागरुक है। मुनिश्री ने आगे कहा- आचार्यश्री महाश्रमणजी तीर्थंकर सम अतिशय धारी है। पापभीरू और महान संकल्पबली हैं, साम्य योगी हैं। परिस्थितियों की प्रतिकूलताओं में भी आप अप्रभावित रहते हैं। ऐसे आचार्यप्रवर युग-युग तक धर्म संघ का नेतृत्व कराते रहें। मुनि काव्यकुमार जी ने कहा- आचार्यश्री महाश्रमण जी पुण्यशाली महापुरुष हैं। वे वात्सल्य की अनुपम धारा प्रवाहित करते हैं। मेरे जैसा छोटा साधु भी उनकी वत्सलता से गद्-गद् है। समारोह में तेममं कुंभकोणम की बहनों ने अभिवंदना गीत का संगान किया। ज्योति सुराणा, आरती रांका ने विचार रखे।