महाश्रमणोस्तु मंगलम् कार्यक्रम का आयोजन

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महाश्रमणोस्तु मंगलम् कार्यक्रम का आयोजन

मुनि जिनेशकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में अभातेयुप के निर्देशानुसार ‘महाश्रमणोस्तु मंगलम्’ कार्यक्रम का आयोजन तेरापंथ महिला मंडल, पूर्वांचल कोलकाता द्वारा उल्टाडांगा में आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा- चिदानंद योगी, अनुत्तर संयम के साधक आचार्यश्री महाश्रमणजी अनेक विशेषताओं के पुंज हैं। वे योगी, प्रवचनकार, कुशल शास्ता, साहित्यकार, सहज सरल विनम्र स्वभाव के धनी हैं, अध्यात्म के अलौकिक प्रकाश पुंज है।
मुनिश्री ने आगे कहा तेरापंथ धर्म संघ में आचार्य का स्थान सर्वोपरि होता है, आचार्य तीर्थंकर के प्रतिनिधि होते हैं। वे संघ की सारणा - वारणा करने वाले होते हैं। प्रश्न खड़ा होता है आचार्य की अर्हता क्या है? संपदा क्या है? संपदा अर्थात् संपत्ति। ऐश्वर्य, आचार, श्रुत, शरीर, वचन, मति, प्रयोगधर्मा, संग्रह परिज्ञा इन गुणों से जो संपन्न होता है वह आचार्य बनने का अधिकारी होता है। आचार्यश्री महाश्रमणजी इन संपदाओं से युक्त है। आचार्य महाश्रमणजी अपनी साधना में अपने नियमों के प्रति सजग हैं। वे अपनी यात्रा आदि के ज़रिए मानवता की अपूर्व सेवा कर रहे हैं।
इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा आचार्यश्री महाश्रमणजी विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी हैं। मुनि कुणालकुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। तेरापंथ महिला मंडल पूर्वांचल की अध्यक्षा प्रेम सुराणा ने अभ्यर्थना करते हुए स्वागत वक्तव्य प्रदान किया। तेरापंथ कन्या मंडल एवं ते.म.मं. की बहनों ने महाश्रमण अष्टकम् का संगान किया। तेरापंथ महिला मंडल की सदस्याओं ने प्रेरणा गीत का संगान किया। आभार ज्ञापन मंत्री बबीता तातेड़ ने व संचालन मुनि परमानंद जी ने किया। इससे पूर्व मुनिश्री के क्षेत्र में पदार्पण पर श्रीमती पूजा बच्छावत ने अपने विचार व्यक्त किये व उल्टा डांगा की बहनों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। मंगलपाठ से पूर्व विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को तेरापंथ महिला मंडल पूर्वांचल द्वारा सम्मानित किया गया।