अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम

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अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम

मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया एवं वर्षीतप अभिनंदन समारोह का आयोजन तुलसी मार्ग स्थित श्रीराम वाटिका में उत्तर हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा किया गया जिसमें इक्कीस भाई-बहनों के वर्षीतप का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा सभ्यता और संस्कृति की विकास यात्रा के पुरोधा भगवान ऋषभ कर्मयुग व धर्मयुग के प्रणेता थे। वे पुरुषार्थ चतुष्टयी के विशिष्ट प्रवर्तक थे। वे युगद्रष्टा, युगस्रष्टा व प्रयोग धर्मा थे। उन्होंने प्रयोग धर्मा बन अध्यात्म के क्षेत्र में धर्म की जीवन्त प्रस्तुति दी। उन्होंने शस्त्र युद्ध को नकार कर आत्मयुद्ध की प्रेरणा दी। भगवान ऋषभ का युग युगबोध, युग निर्माण, युग विकास व सभ्यता के जन्म का युग था। अक्षय तृतीया के दिन भगवान ऋषभ के वर्षीतप का पारणा प्रपौत्र श्रेयांस के हाथों इक्षुरस के दान से हुआ। मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा तपस्या से समस्या मिटती है। तपस्या से रोगों का उपशमन होता है। जहां तपस्या है वहां शांति, लक्ष्मी, प्रेम का विस्तार है। सबसे बड़ी तपस्या सहिष्णुता है। सहिष्णुता से व्यक्ति सफलता को प्राप्त होता है। मुनि कुणाल कुमारजी ने सुमधुर गीत का संगान किया। इस अवसर पर तेरापंथी स‌भा उत्तर हावड़ा के अध्यक्ष राकेश संचेती ने सभी तपस्वियों व आगन्तुकों का स्वागत करते हुए विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल व टी.पी.एफ. के सदस्यों के मंगल गीत से हुआ। कलकत्ता सभा के अध्यक्ष अजय भंसाली ने अपने विचार व्यक्त किये। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री सुरेन्द्र बोथरा ने व कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यकताओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।