अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम

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अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम

आज का दिन भगवान ऋषभ के तपश्चरण के पुण्यस्मरण का दिन है। चित्त (देने की भावना), वित्त (सुजता आहार-पानी, वस्तु) एवं पात्र (चारित्रिक आत्माएं) इन तीनों के मिलन से ही सुपात्र दान का लाभ मिलता है। आज ही के दिन राजकुमार श्रेयांस, इक्षु रस और भगवान ऋषभदेव के संयोग से दान की महिमा उजागर हुई। उपरोक्त विचार तेरापंथ सभा भवन, ट्रिप्लीकेन में 15 वर्षीतप करने वाले साधकों की अनुमोदना में समायोजित अक्षय तृतीया समारोह में धर्मपरिषद् को सम्बोधित करते हुए आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी डॉ. गवेषणाश्री ने कहे। साध्वीश्री ने आगे कहा कि जो कर्मशूर होते हैं वे ही धर्मशूर होते हैं। इस अवसर्पिणी काल में ऋषभदेव ने कला, संस्कृति, विज्ञान की नींव रखी। असि, मसि, कृषि के साथ 72 कलाओं का प्रशिक्षण दिया। सामाजिक व्यवस्था का प्रादुर्भाव करने के बाद संयम पथ पर गतिशील हुए। साध्वीश्री ने कहा कि माता-पिता बच्चों के लिए जैसे वसीयत छोड़ जाते हैं, उसी तरह आदिनाथ प्रभु हमें शिक्षा रूपी वसीयत देकर गये कि कर्मों का भुगतान स्वयं को ही करना पड़ेगा। लगभग 12 घड़ी के अन्तराय ने ऋषभदेव को 12 महीने तक के अन्तराय का भुगतान कराया। अतः हमें जीवन में सत् कर्मों का उपार्जन करना चाहिए। तप के मार्ग पर गतिशील साधकों का अभिनन्दन करते हुए साध्वीश्री ने कहा कि जो पतन से बचाये, वह तप होता है। साध्वी मयंकप्रभा ने कहा कि आज के दिन का महत्त्व सभी धर्मों में बताया गया है। जैन धर्म में जहां आज के दिन आदि तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को प्रथम आहार प्राप्त हुआ। वहीं मान्यता है आज के दिन मां गंगा का अवतरण हुआ था, कृष्ण और सुदामा का मिलन हुआ था, परशुराम का जन्म भी आज हुआ था। साध्वी दक्षप्रभाजी एवं साध्वी मेरुप्रभाजी ने सुमधुर गीतिका का संगान किया। इससे पूर्व नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। स्थानीय युवकों, महिलाओं ने अलग-अलग गीतिकाओं का संगान किया। गौतमचंद सेठिया ने कहा कि भगवान आदिनाथ के जीवन दर्शन से भावित होकर हमें भी अपने जीवन में ज्ञान के साथ तप का समन्वय करना चाहिए। ट्रिप्लीकेन ट्रस्ट बोर्ड प्रबन्धन्यासी सुरेशचन्द संचेती ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किया। सभाध्यक्ष उगमराज सांड, मंत्री अशोक खतंग, विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी एवं अनेकों तपस्वियों के परिजनों ने अपने श्रद्धा स्वर प्रस्तुत किये। ज्ञानाशाला ज्ञानार्थियों एवं प्रशिक्षिकाओं ने सुन्दर नाटिका से भगवान ऋषभदेव के जीवन चरित्र को प्रस्तुत किया। ट्रस्ट बोर्ड द्वारा सभी तपस्वियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनन्दन किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए मंत्री विजयराज गेलड़ा ने आभार व्यक्त किया।