आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर िवशेष आयोजन

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर िवशेष आयोजन

प्रज्ञापुरुष आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की 15वीं पुण्यतिथि पर उग्रविहारी तपोमूर्ति मनि कमलकुमारजी के सान्निध्य में द्विदिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रथम दिवस के कार्यक्रम में मुनिश्री ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञजी विद्या, विनय, विवेक की त्रिवेणी से सम्पन्न थे। उनके आचार विचार की निर्मलता इतनी थी कि उन्होंने अपने गुरु के दिल में ऐसा स्थान बनाया कि गुरुदेव तुलसी ने अपने रहते हुए अपने उत्तराधिकारी को युवाचार्य ही नहीं आचार्य बनाकर एक नवीन कार्य किया जो तेरापंथ धर्मसंघ के लिए स्वर्णिम इतिहास बन गया। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी द्वारा लिखित साहित्य बौद्धिक, राजनैतिक, औद्यौगिक लोगों से लेकर जन-जन के लिए उपयोगी बना है। उन्होंने अशान्त और तनावयुक्त लोगों के लिए प्रेक्षा ध्यान का आविष्कार कर शांतिमय रहना सिखाया। नई पौध के निर्माण के लिए जीवन विज्ञान का पाठ्यक्रम बनाकर हर वर्ग को स्वस्थ, मस्त, आत्मस्थ बनाने का कार्य किया है। कार्यक्रम में बौद्ध धर्म से भदंत राहुल बोधि, ईसाई धर्म से फादर माइकल रोझिरयो, ब्रह्म कुमारी प्रमिला बहन, मुस्लिम समाज से लायन परवेज आदि ने भी अपने भाव पूर्ण विचार प्रस्तुत किये। सभा अध्यक्ष जुगराज जैन एवं संदीप कोठारी ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए अपने विचार प्रकट किए। कार्यक्रम का संयोजन राजकुमार चपलोत ने किया। दूसरे दिन प्रात: सूर्योदय से पूर्व सामायिक सहित 'ॐ श्री महाप्रज्ञ गुरवे नम:' का जाप दिवस पर्यन्त चला। सामायिक की पचरंगी, उपवास, बेले के साथ पौषध भी अच्छी संख्या में हुए। द्वितीय दिवस के मुख्य कार्यक्रम में सामूहिक जाप एवं प्रेक्षाध्यान का प्रयोग किया गया। मुनि जंबूकुमारजी, मुनि अमनकुमारजी, मुनि नमिकुमारजी, मुनि मुकेशकुमारजी आदि ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। सोहनलाल सिंघवी, के.पी. मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त किये एवं बसन्त, नरेन्द्र, विमल जैन ने सामूहिक गीत का संगान किया।