आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर िवशेष आयोजन
युगप्रधान आचार्यश्री महाप्रज्ञ का 15वां महाप्रयाण दिवस कार्यक्रम समणी निर्देशिका ज्योतिप्रज्ञा जी के सान्निध्य में महिला मंडल के मंगलाचरण से प्रारंभ हुआ। डॉ. समणी निर्देशिका ज्योतिप्रज्ञा जी ने अपने संबोधन में कहा- आचार्यश्री महाप्रज्ञ अनुपमेय व्यक्तित्व के धनी थे। पंद्रह से भी अधिक पुरस्कारों से उन्हें नवाजा गया। उनके सान्निध्य से पुरस्कार स्वयं सम्मानित हो गए। वे महान साहित्यकार थे, उन्होंने करीब 300 से अधिक पुस्तकें लिखी। जिनवाणी का संपादन उनके जीवन की अमूल्य धरोहर है। खुले आंगन में जन्म लेकर उन्होंने जन्म से ही स्वतंत्रता का संदेश दिया। सभा अध्यक्ष निर्मल सिंघी, तेयुप अध्यक्ष धीरज बोरड़, मंडल मंत्री कुसुम मणोत ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में विशेष रूप से भारतीय महावाणिज्य दूत श्रीदेवी सहाय मीणा उपस्थित थे। आपने कहा- आज आचार्यश्री महाप्रज्ञ जैसे संतों की विश्व को आवश्यकता है। उन्होंने स्वयं कष्ट सहकर लोगों का कल्याण किया। उनके द्वारा प्रारंभ की गई प्रेक्षाध्यान पद्धति आज के तनावपूर्ण युग में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकिशोर झा ने कहा- जैन धर्म वैज्ञानिक है, व्यावहारिक है, वेदों से भी प्राचीन है, जैन धर्म में विपुल वांग्मय है। ऐसे महान धर्म के जैनाचार्य आचार्यश्री महाप्रज्ञ को मैं श्रद्धा से नमन करता हूँ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अशोक बैद ने आचार्यश्री महाप्रज्ञ के जीवन की विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. समणी मानसप्रज्ञा जी ने किया।