आचार्य तुलसी से परिचित ही नहीं प्रभावित भी हुआ : अर्जुन राम मेघवाल

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आचार्य तुलसी से परिचित ही नहीं प्रभावित भी हुआ : अर्जुन राम मेघवाल

आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या समणी मधुरप्रज्ञाजी के दर्शन हेतु केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल का आना हुआ। समणी मधुरप्रज्ञा जी ने अपने प्रवचन में आचार्यश्री तुलसी के अवदानों की चर्चा करते हुए कहा- आचार्य तुलसी ने देश के नैतिक उत्थान के लिए अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया, तनाव बाहुल्य युग में मानव मन की शांति एवं आनन्दमय जीवन के लिए प्रेक्षाध्यान दिया, संतुलित शिक्षा पद्धति के लिए जीवन विज्ञान का क्रम प्रारंभ किया। उनकी प्रेरणा से तेरापंथ धर्म संघ साहित्य से समृद्ध बना। आचार्यश्री महाप्रज्ञ और आचार्य महाश्रमण जी का साहित्य जीवन को नई दिशा प्रदान करता है। समणी जी ने देश-विदेश की यात्राओं में समण श्रेणी के योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए। समणी मधुरप्रज्ञाजी ने कहा कि अर्जुन मेघवाल ने अणुव्रत को केवल समझा ही नहीं अपितु जीवन में उतारने का प्रयत्न भी किया है। वर्तमान में आप जैन विश्व भारती संस्थान के कुलाधिपति के रूप में संस्थान का गौरव बढ़ा रहे हैं।
केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा- जब मैं स्कूल विद्यार्थी था, उस समय आचार्य तुलसी गंगाशहर में आए। तब मैं उनसे परिचित ही नहीं हुआ, प्रभावित भी हुआ। उनका जन संपर्क का तरीका बड़ा ही विस्मयकारी था। बात-बात में गहन बात समझा देते थे। आजादी के समय की स्थिति को देखकर उन्होंने असली आजादी के लिए अणुव्रत आंदोलन का प्रारंभ किया। मुझे राजनीति में आने और काम की प्रेरणा आचार्य महाप्रज्ञ से मिली। आचार्य महाश्रमण जी के सान्निध्य में भी अनेक बार जाने का अवसर मिलता है।
जैन विश्व भारती संस्थान का कुलाधिपति होने के कारण लाडनूं जाने का अवसर भी मिलता रहता है। मेघवाल ने बड़े भाव पूर्ण रूप से कई संस्मरण प्रस्तुत किए। उनके विचारों को सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। समणी मनन प्रज्ञा जी ने कहा- आप और हम एक ही स्थान से संबंध रखते हैं। आज आपका आना आल्हाद का विषय है। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष मनोज मणोत ने मंत्री मेघवाल का हार्दिक स्वागत किया। बच्चों द्वारा आचार्य तुलसी के सोलह अवदानों की प्रस्तुति की। उमराव बाई बोरड़ ने भी अपने विचार व्यक्त किए।