ज्ञानी, भाग्यशाली और पुरुषार्थी व्यक्ति जीवन में बढ़ सकता है आगे : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

ज्ञानी, भाग्यशाली और पुरुषार्थी व्यक्ति जीवन में बढ़ सकता है आगे : आचार्यश्री महाश्रमण

महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी नलगंगा नदी के तट पर बसे रोहिणखेड़ ग्राम में पधारे। मंगल देशना प्रदान कराते हुए पूज्यप्रवर ने फरमाया कि चौरासी लाख जीव योनियों में मनुष्य जन्म मिलना बहुत अच्छी और बड़ी बात हो सकती है। मनुष्य जन्म प्राप्त करने के बाद आदमी उसे किस प्रकार जीता है यह महत्वपूर्ण बात हो जाती है। एक आदमी पाप का, अधर्म का जीवन जीता है, तो मरकर नरक या तिर्यंच गति में पैदा हो जाता है। कुछ मनुष्य ऐसे भी हो सकते हैं, जो विशेष पाप या धर्म भी नहीं करते हैं और मरकर वे मनुष्य जन्म को प्राप्त हो जाते हैं। कई मनुष्य जो धर्म करते हैं, साधु बन जाते हैं, श्रावकत्व का अच्छा पालन करते हैं, तपस्या-निर्जरा करते हैं वे मरकर देवगति में या मोक्ष में भी चले जाते हैं।
मनुष्य से नरक या तिर्यंच गति में जाना पतन की बात हो जाती है। मनुष्य से मनुष्य बन जाना साधारण बात हो गयी, देवगति में जाए ये विशेष बात हो जाती है। मनुष्य जन्म से मोक्ष में चले जाना तो सर्वोत्तम बात होती है। हम ध्यान दें कि हमारे जीवन का क्रम, आचरण व जीवन शैली कैसी है? अज्ञानी आदमी गलत मार्ग पर चलकर मूल पूंजी ही गंवा देता है। जीवन में भाग्य का सहयोग न हो तो जीवन में, विकास में अवरोध आ सकता है। पढ़ा-लिखा, भाग्यशाली और पुरुषार्थी जीवन में बहुत आगे बढ़ जाता है। पिता को तो वो बेटा प्यारा होता है, जो अच्छी कमाई करके लाए। मनुष्य जन्म तो एक कमाई है। हम तीर्थंकर भगवान के बेटे हैं, हम ऐसा धर्म का जीवन जीएं ताकि हमें आगे सुगति प्राप्त हो सके। मनुष्य जन्म अनमोल है, जो हमें अभी प्राप्त है, इसका फायदा उठाने का प्रयास करना चाहिए।
हम धार्मिक साधना में समय लगाएं, व्यवहार में अहिंसा और संयम रहे। साधु बनना बड़ी बात है। साधु जीवन में निर्मलता-जागरुकता रहे। गृहस्थ श्रावक भी श्रावकत्व में और ध्यान दें। एक उम्र के बाद तो रोज सामायिक हो जाए, ऐसा प्रयास करें। धार्मिक साधना हमारी पूंजी को आगे बढ़ाने वाली बन सकती है। जैन हैं या नहीं पर गुड मैन अवश्य बनें। जीवन में धार्मिकता के प्रति जागरूकता रखें। मंगल प्रवचन के पश्चात नवजीवन विद्यालय के चेयरमैन रमेश नाना इंडोले ने पूज्यवर के स्वागत में अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमारजी ने किया।