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अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम
समाधि केन्द्र, बीदासर में बड़े हर्षोल्लास के साथ अक्षय तृतीया कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी कार्तिकयशाजी ने वैदिक, भारतीय एवं जैन संस्कृति में अक्षय तृतीया के दिन के महत्त्व को उजागर करते हुए कहा कि अक्षय तृतीया के दिन महाभारत ग्रंथ लिखना प्रारंभ हुआ, महादानी युधिष्ठिर को अक्षय पात्र प्राप्त हुआ, तेरापंथ के द्वितीय आचार्यश्री भारमलजी का जन्म भी आज के दिन हुआ। आज के दिन किसान बीजों की बुवाई करते हैं ताकि उनके भंडार अक्षुण्ण भरे रहें। आज कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ करने का सर्वश्रेष्ठ दिन है। तथा आज ही के दिन भगवान ऋषभ ने प्रलम्ब तपस्या का पारणा कर इस दिन को और पूजनीय बना दिया। 'शासनश्री' साध्वी अमितप्रभाजी ने बीदासर में हुई तपस्याओं का उल्लेख करते हुए बीदासर को तपोभूमि मानने के कारणों से अवगत करवाया। 'शासनश्री' साध्वी कुलप्रभाजी ने स्वरचित कविता एवं 'शासनश्री' साध्वी मदनश्रीजी ने स्वरचित गीतिका के माध्यम से तपस्वियों का आध्यात्मिक अनुमोदन किया।
'शासनश्री' साध्वी विमलप्रभाजी एवं वर्षीतप संपन्न कर रही साध्वी मननीयप्रभाजी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। ज्ञानशाला के बच्चों ने भगवान ऋषभ के पारणे के प्रसंग को सुंदर नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया। साध्वीवृंद एवं महिला मंडल ने सुमधुर गीत का संगान किया। महिला मंडल सदस्या अल्का बांठिया, तेरापंथ सभा के सदस्य अजीत बैंगानी, अणुव्रत समिति सदस्य दानमल बांठिया एवं महावीर बैद, समाधि केन्द्र व्यवस्थापक रवि सेखानी, शक्ति पीठ गंगाशहर के मंत्री दीपक आंचलिया तथा तपस्विनी बहनों के पारिवारिकजनों ने तप अनुमोदन किया। सरोज बांठिया ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन साध्वी नम्रताश्रीजी ने किया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में तपस्विनी बहनों का सम्मान किया गया जिसका संचालन नेहा बैंगानी ने किया।