क्षेत्रीय श्रावक सम्मेलन कार्यक्रम
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी के सान्निध्य में क्षेत्रीय श्रावक सम्मेलन का कार्यक्रम रखा गया। मुनिश्री ने फरमाया कि श्रावक-श्राविकाओं का सहयोग मिलने से ही साधु-साध्वियों का संयम पलता है। श्रावक-श्राविकाओं को भगवान ने माता-पिता तुल्य बताया है। श्रावकों को अपने बारह व्रतों की जानकारी होनी चाहिए, उनका जीवन व्यसनमुक्त और साधनायुक्त होना चाहिए। प्रत्येक श्रावक-श्राविका अपने बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए प्रयत्नशील हो जिससे परिवार और धर्मसंघ की गरिमा महिमा बढ़ाने में आप सहयोगी बन सकें।
संघीय आयामों के विकास में श्रावक व श्राविकाओं की अहम भूमिका होती है। उपासक श्रेणी, ज्ञानशाला, प्रेक्षाध्यान, युवक परिषद, महिला मंडल, किशोर मंडल, कन्यामंडल में भी श्रावक-श्राविकाओं का उचित सहयोग मिले तब ही सभी सक्रिय और गतिशील बन सकते हैं। कार्यक्रम में गण्णपत डागलिया और सलिल लोढ़ा ने भी अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।