आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा कल्याण वर्ष की सम्पन्नता पर आयोजन
आचार्यश्री महाश्रमण का दीक्षा कल्याण महोत्सव समारोह शालीमार बाग गोयल भवन में उत्तर मध्य महिला मंडल द्वारा 'शासनश्री' साध्वी रतनश्रीजी के सान्निध्य में समायोजित किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए 'शासनश्री' साध्वी सुव्रतांजी ने कहा- आचार्य श्री महाश्रमण जी का आचार-विचार हिमालय से भी ऊंचा है। अध्यात्मनिष्ठा, संघनिष्ठा और आगमनिष्ठा अलौकिक है। आपने दो-दो आचार्यों का अनुशासन सहजता से सहन किया है, तभी बिन्दु से सिन्धु, लघु से महान बने हैं। आपमें आचार्य श्री तुलसी जैसी श्रमशीलता, आचार्यश्री महाप्रज्ञ जैसी गंभीरता और जयाचार्य जैसी स्थितप्रज्ञता है।
मैं दीक्षा कल्याण महोत्सव के पुण्य अवसर पर यही कामना करती हूं कि आपका देहरत्न निरामय रहे, आप युगों-युगों तक भैक्षव शासन को संरक्षण देते रहें। साध्वी चिन्तनप्रभाजी ने आचार्य अभिवंदना में अपने भावों को प्रस्तुत करते हुए कहा- आचार्यश्री महाश्रमण उदितोदित व्यक्तित्व के धनी हैं। इस कलिकाल में ऐसे तेजस्वी, यशस्वी, वर्चस्वी आचार्य को पाकर हम धन्यता कृत-पुण्यता की अनुभूति कर रहे हैं। आपने 12 वर्ष में दीक्षा, 24 वर्ष में साझपति, 36 वर्ष में युवाचार्य एवं 47 वें वर्ष में तेरापंथ के शीर्ष स्थान आचार्य पद को विभूषित किया। उत्तर मध्य महिला मंडल के मंगल गीत संगान के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। मॉडल टाउन महिला मंडल ने आचार्य की आठ संपदाओं का विस्तृत विवेचन किया। आचार्य प्रवर द्वारा लिखित पुस्तक के आधार पर आयोजित प्रश्न मंच प्रतियोगिता के कार्यक्रम में 21 महिलाओं ने भाग लिया। प्रतियोगिता का संचालन सरोज छाजेड़ एवं इन्दिरा सुराणा ने किया। कार्यक्रम का संचालन भारती जैन ने किया।